भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
}}
[[Category:कविता]]
<poem>कितनी धार्मिक होती है बंदूक़जिसने जिससे छूटकर धर्म
बेक़सूर आदमी में
दनादन उतर जाता है
ठीक विपरीत खुलते हैं
प्रत्यक्ष जो अंदर हैं
</poem>