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[[Category:कविता]]
<poem>कितनी धार्मिक होती है बंदूक़जिसने जिससे छूटकर धर्म
बेक़सूर आदमी में
दनादन उतर जाता है
ठीक विपरीत खुलते हैं
प्रत्यक्ष जो अंदर हैं
 
 
</poem>
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