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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार: [[=बशीर बद्र]][[Category:कविताएँ]]}}[[Category:गज़लग़ज़ल]][[Category:बशीर बद्र]]<poem>गाँव मिट जायेगा शहर जल जायेगाज़िन्दगी तेरा चेहरा बदल जायेगा
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~कुछ लिखो मर्सिया मसनवी या ग़ज़लकोई काग़ज़ हो पानी में गल जायेगा
गाँव मिट जायेगा शहर जल जायेगा<br>अब उसी दिन लिखूँगा दुखों की ग़ज़लज़िन्दगी तेरा चेहरा बदल जब मेरा हाथ लोहे में ढल जायेगा<br><br>
कुछ लिखो मर्सिया मसनवी या ग़ज़ल<br>मैं अगर मुस्कुरा कर उन्हें देख लूँकोई काग़ज़ हो पानी में गल क़ातिलों का इरादा बदल जायेगा<br><br>
अब उसी दिन लिखूँगा दुखों की ग़ज़ल<br>जब मेरा हाथ लोहे में ढल जायेगा<br><br> मैं अगर मुस्कुरा कर उन्हें देख लूँ<br>क़ातिलों का इरादा बदल जायेगा<br><br> आज सूरज का रुख़ हमारी तरफ़<br>ये बदन मोम का है पिघल जायेगा<br><br/poem>