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गाँव मिट जायेगा शहर जल जायेगा / बशीर बद्र
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02:39, 10 फ़रवरी 2009
क़ातिलों का इरादा बदल जायेगा
आज सूरज का रुख़
है
हमारी तरफ़
ये बदन मोम का है पिघल जायेगा
</poem>
द्विजेन्द्र द्विज
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