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गुलाबों की तरह दिल अपना / बशीर बद्र
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02:45, 10 फ़रवरी 2009
सुना है बद्र साहब महफ़िलों की जान होते थे
बहुत दिन से वो
पत्थर हैं, न हँसते हैं न रोते हैं
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द्विजेन्द्र द्विज
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