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नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मधुप कुमार }} <Poem> आधी रात का जलवा समर्पित हो रहा ह...
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{{KKRachna
|रचनाकार=मधुप कुमार
}}
<Poem>
आधी रात का जलवा समर्पित हो रहा है
उसकी साधना को
इन्द्रजाल जैसे उसके वितानों ने साध ली है
परिचय की दूरियाँ
मेरी अन्तःपरिधि पर अंकित है
उसके चिन्ह
वह नैसर्गिक हो चली है।
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=मधुप कुमार
}}
<Poem>
आधी रात का जलवा समर्पित हो रहा है
उसकी साधना को
इन्द्रजाल जैसे उसके वितानों ने साध ली है
परिचय की दूरियाँ
मेरी अन्तःपरिधि पर अंकित है
उसके चिन्ह
वह नैसर्गिक हो चली है।
</poem>