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18:52, 12 फ़रवरी 2009 इस शीर्षक से दी गई कविता शायद सही नहीं है। उस कविता का सही शीर्षक संभवतः 'त्रिलोचन चलता रहा' है, इसलिए मैंने यहाँ पहले डले पाठ को एक नये पन्ने में डाल दिया है जिसका शीर्षक 'त्रिलोचन चलता रहा' है।
य़हाँ पर मैं इस शीर्षक की कविता जैसी किताब में दी है वैसी ही डाल रहा हूँ।
संदर्भ: [http://khucee.blogspot.com/2007/12/blog-post_1502.html त्रिलोचन चलता रहा]