भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
मैं पाँच-सौ के नोट की सूरत हूँ इन दिनों
हर शख़्स है निशाने पे उझको मुझको लिए हुए
कैरम की लाल गोट की सूरत हूँ इन दिनों
Anonymous user