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{{KKRachna
|रचनाकार =रघुवीर सहाय
}}
<poem>
बच्चा गोद में लिए
चलती बस में
चढ़ती स्त्री
और मुझमें कुछ दूर घिसटता जाता हुआ।
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|रचनाकार =रघुवीर सहाय
}}
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बच्चा गोद में लिए
चलती बस में
चढ़ती स्त्री
और मुझमें कुछ दूर घिसटता जाता हुआ।
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