भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार =रघुवीर सहाय }} <poem> नीम में बौर आया इसकी एक सहज गन...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार =रघुवीर सहाय
}}
<poem>
नीम में बौर आया
इसकी एक सहज गन्ध होती है
मन को खोल देती है गन्ध वह
जब मति मन्द होती है
प्राणों ने एक और सुख का परिचय पाया।
(1954)
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार =रघुवीर सहाय
}}
<poem>
नीम में बौर आया
इसकी एक सहज गन्ध होती है
मन को खोल देती है गन्ध वह
जब मति मन्द होती है
प्राणों ने एक और सुख का परिचय पाया।
(1954)
</poem>