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{{KKRachna
|रचनाकार=वेणु गोपाल
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}}
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ऎसा क्यों होता है-
कि कविता की बात
कवि तक नहीं सुनता
वह
बिचारी कहती रहती है-

मैं फ़िलहाल
हाज़िर नहीं हूँ
मैं मेडिकल-लीव पर हूँ
और कवि
गोष्ठयों-सभाओं में कहता रहता है
-यह रही मेरी ताज़ा कविता
कि मैंने आज ही लिखी है

ऎसा क्यों होता है-
कि पाठक और आलोचक
कवि की बात सुनते हैं
कविता की नहीं
</poem>