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निज राष्ट्र के शरीर के सिंगार के लिए तुम कल्पना करो, नवीन कल्पना करो,
तुम कल्पना करो , नवीन कल्पना करो,
तुम कल्पना करो।
अब देश है स्वतंत्र, मेदिनी स्वतंत्र है
लेकर अनंत शक्तियाँ सद्य समृद्धि की-
तुम कामना करो, किशोर कामना करो,  तुम कल्पना करो।
तुम कामना करो ।
टूटे कभी न तार यह अमर पुकार का-
तुम साधना करो, अनंत साधना करो,
तुम साधना करो ।कल्पना करो।
बीती गुलामियाँ, न लौट आएँ फिर कभी
तुम भावना करो, स्वतंत्र भावना करो
तुम भावना करो ।कल्पना करो।