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काट-काट तन खाये जो, कहें उसे तनखाह।
पहली से पहली तलक, चला भागता है।जा।
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कहा चितिसक चिकित्सक ने हमें करो सुरक्षित भोग।
जितने बढ़ गये डॉकटर,उतने बढ़ गए रोग।
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कड़वी छाया नीम की मीठा हर सिंगार।
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बन्दर अदरक खा गयेगयो, लुट गयो हमारो नीम.हमरो नीम।अरी अभागी भारती, तेरे नीम हकीम।
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पंजीक़ृत अब हो गयी, बरसाती की बास,
चावल देहरादून का मालिक है टैक्सा।टैक्साज़।
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यश पाया धन भी मिला,बन गयी ब्यूटी क्वीन
नीति भई अनीति अब, दलदल बन गये दल।
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मस्जिद ढाई ईंट की मंदिर पाथर तीन।
ढाई आखर प्रेम के हमसे लीने छीन।
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लोगा लोहा ढला जंज़ीर में, खोई सत्य ने धार।
दल बदली के बिना अब,चलती नहीं सरकार।
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मतदाता तो कर गया, अपना मत उपयोग।
नेताजी को गल गया, दलबदली का रोग।
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बोला पंछी बावरा, जूतूंगा जीतूंगा संसार।
जीत लिया संसार तो, पखों ने दी हार।
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