गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
सफेद चाक हूं मैं / कुमार मुकुल
502 bytes added
,
22:11, 18 फ़रवरी 2009
नया पृष्ठ: समय की अंधेरी उदास सड़कों पर जीवन की उष्ण, गर्म हथेली से घिसा जात...
समय की
अंधेरी
उदास सड़कों पर
जीवन की
उष्ण, गर्म हथेली से
घिसा जाता
सफेद चाक हूं मैं
कि
क्या
कभी मिटूंगा मैं
बस
अपना
नहीं रह जाउंगा
और तब
मैं नहीं
जीवन बजेगा
कुछ देर
खाली हथेली सा
डग - डग - डग ...
Kumar mukul
765
edits