गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
पैरों को मेरे दीदा-ए-तर बाँधे हुए है / मुनव्वर राना
3 bytes removed
,
02:32, 20 फ़रवरी 2009
लगता है कोई मेरी नज़र बाँधे हुए है
बिछड़ेंगे तो मर जायेंगे हम दोनों
बिछड़्कर
बिछड़कर
इक डोर में हमको यही डर बाँधे हुए है
द्विजेन्द्र द्विज
Mover, Uploader
4,005
edits