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Kavita Kosh से
तालीम लड़कियों की ज़रूरी तो है मगर
ख़ातूने-ख़ाना हों, वे सभा की परी न हों
उस्ताद अच्छे हों, मगर ‘उस्ताद जी’ न हों
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तालीमे-दुख़तराँ से ये उमीद उम्मीद है ज़रूर
नाचे दुल्हन ख़ुशी से ख़ुद अपनी बारात में
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क़द्रदानों की तबीयत का अजब रंग है आज
बुलबुलों को को ये हसरत, कि वो उल्लू न हुए.
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