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|रचनाकार=हेमंत हेमन्त जोशी
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'''1'''
हर व्यक्ति पुर्जा है
इस विशाल तंत्र का
पहुँचाता है मुझतकमुझ तक
कोई न कोई मंत्र
इस विशाल तंत्र का।
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