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नाहक़ हम मजबूरों पर ये तोहमत है मुख़्तारी की<br>
चाहते हैं सो आप करे करें हैं, हमको अबस बदनाम किया<br><br>
सरज़द हम से बे-अदबी तो वहशत में भी कम ही हुई<br>
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