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उलटी हो गई सब तदबीरें, कुछ न दवा ने काम किया / मीर तक़ी 'मीर'
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22:01, 26 फ़रवरी 2009
याँ के सपेद-ओ-स्याह में हमको दख़ल जो है सो इतना है<br>
रात को रो-रो सुबह किया,
या
दिन को ज्यों-त्यों शाम किया<br><br>
'मीर' के दीन-ओ-मज़हब को अब पूछते क्या हो उन ने तो<br>
क़श्क़ा खींचा, दैर में बैठा, कब का तर्क इस्लाम किया
Irfan
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