Changes

दुनिया - २ / केशव

13 bytes added, 11:21, 1 जनवरी 2010
|संग्रह=ओ पवित्र नदी / केशव
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
तुमसे जुड़्कर जुड़कर मैं
आँधी का रुख
अपनी ओर मोड़ लेता हूँ
जो तेज़ से तेज़ हथियार के सामने भी
खड़ा रहता है
::निडर
जिसकी अदृष्य उंगली थामकर
अँधेरे के घने वृक्ष में
खुद को
सबसे बाँट लेता हूँ
 
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,393
edits