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वैष्‍णव जन / अंशु मालवीय

94 bytes added, 15:11, 2 मार्च 2009
{{KKRachna
|रचनाकार=अंशु मालवीय
|संग्रह=दक्खिन टोला / अंशु मालवीय
}}
<poem>
देखो क्षीरसागर की तलहटी में
नसरी की लाश सड़ रही है.
</poem>