गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
अरमान मेरे दिल का निकलने नहीं देते / अकबर इलाहाबादी
7 bytes added
,
04:24, 8 मार्च 2009
ख़ातिर से तेरी याद को टलने नहीं देते
सच है कि हमीं दिल को संभलने नहीं देते
किस नाज़ से कहते हैं वो झुंझला के शब-ए-वस्ल
गर्मी-ए-मोहब्बत में वो है आह से माने'
पंखा नफ़स-ए-सर्द का झलने नहीं देते
</poem>
Shrddha
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
3,286
edits