भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
कवियत्री: [[कीर्ति चौधरी]]
[[Category:कविताएँ]]
[[Category:कीर्ति चौधरी]]
 
~*~*~*~*~**~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~
 
मुँह ढाँक कर सोने से बहुत अच्छा है,
माँगने से जाने क्या दे जाए।
नहीं तो स्वर्ग से निर्वासित,
किसी अप्सरा को ही,
यहाँ आश्रय दीख पड़े।
खुले हुए द्वार से बड़ी संभावनाएँ हैं मित्र!
मुँह ढाँक कर सोने से बहुत बेहतर है।
 
 
- कीर्ति चौधरी