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कवियत्री: [[कीर्ति चौधरी]]
[[Category:कविताएँ]]
[[Category:कीर्ति चौधरी]]
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मुँह ढाँक कर सोने से बहुत अच्छा है,
माँगने से जाने क्या दे जाए।
खुले हुए द्वार से बड़ी संभावनाएँ हैं मित्र!
मुँह ढाँक कर सोने से बहुत बेहतर है।