Changes

{{KKRachna
|रचनाकार = रसखान
}}{{KKCatKavita}}{{KKAnthologyKrushn}}{{KKCatBrajBhashaRachna}}<poem>
कर कानन कुंडल मोरपखा उर पै बनमाल बिराजती है
 
मुरली कर में अधरा मुस्कानी तरंग महाछबि छाजती है
 
रसखानी लखै तन पीतपटा सत दामिनी कि दुति लाजती है
 
वह बाँसुरी की धुनी कानि परे कुलकानी हियो तजि भाजती है
</poem>