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पंथ पर चलना तुझे तो मुस्कुराकर चल मुसाफिर॥<br><br>
कंटकित यह पंथ भी हो जायगा आसमान आसान क्षण में,<br>
पाँव की पीड़ा क्षणिक यदि तू करे अनुभव न मन में,<br>
सृष्टि सुख-दुख क्या हृदय की भावना के रूप हैं दो,<br>