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हिन्दी काव्य छंद

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'''यति और गति'''<br>
यति – छन्द को पढ़ते समय बीच–बीच में कहीं कुछ रूकना पड़ता हैं¸ इसी रूकने के स्थान कों गद्य में ' विरागविराम' और पद्य में 'यति' कहते हैं।<br>
गति – छन्दोबद्ध रचना को लय में आरोह अवरोह के साथ पढ़ा जाता है। छन्द की इसी लय को 'गति' कहते हैं।<br>
तुक – पद्य–रचना में चरणान्त के साम्य को 'तुक' कहते हैं। अथार्त् पद के अन्त में एक से स्वर वाले एक या अनेक अक्षर आ जाते हैं¸ उन्हीं को 'तुक' कहते हैं।<br><br>