Changes

हम तो घर से निकले ही थे बांध कर सर पे क़फ़न<br>
चाहतें लीं भर जान हथेली पर लिए लो भर बढ चले हैं ये क़दम<br>
ज़िंदगी तो अपनी मेहमाँ मौत की महफ़िल में है।<br><br>
Anonymous user