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अक्सर लोग इसे [[राम प्रसाद बिस्मिल]] जी की रचना बताते हैं लेकिन वास्तव में अज़ीमाबाद (अब पटना) के की मशहूर शायर बिस्मिल अज़ीमाबादी के हैं और रामप्रसाद बिस्मिल ने उनका शे'र फांसी के फंदे पर झूलने के समय कहा था। चूँकि अधिकाँश लोग इसे [[राम प्रसाद बिस्मिल]] की रचना मानते है इसलिए इस रचना को बिस्मिल के पन्ने पर रखा गया है। -- [[कविता कोश टीम]]
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