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नयी कविता
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{{KKRachna
|रचनाकार=ज़्देन्येक वागनेर
|संग्रह=
}}
<Poem>
जब शाम को चंद्र आ रहा है
और सूर्य सोने जा रहा है
तब मेरा दिल तेरे होंठों से
चेरी का स्वाद लेना चाहता है।
और अब यही कविता चेक भाषा में
Když měsíc...
------------
Když měsíc vychází
a slunce šlo už spát,
jahody ze rtů tvých
já toužím ochutnat.
</poem>
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|रचनाकार=ज़्देन्येक वागनेर
|संग्रह=
}}
<Poem>
जब शाम को चंद्र आ रहा है
और सूर्य सोने जा रहा है
तब मेरा दिल तेरे होंठों से
चेरी का स्वाद लेना चाहता है।
और अब यही कविता चेक भाषा में
Když měsíc...
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Když měsíc vychází
a slunce šlo už spát,
jahody ze rtů tvých
já toužím ochutnat.
</poem>