भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कह-मुकरियाँ / अमीर खुसरो

No change in size, 13:39, 25 अगस्त 2006
ऐ सखी साजन? ना सखी, चांद! <br><br>
वो आए तब आवै तो शादी होवे होय <br>
उस बिन दूजा और न कोय <br>
मीठे लागें वा के बोल। <br>