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Kavita Kosh से
मैं घर से तेरी तमन्ना पहन के जब निकलूँ
बरह्ना <ref> नंगा,ख़ाली </ref> शहर में कोई नज़र न आए मुझे
वही तो सब से ज़्यादा है नुक्ताचीं मेरा