Changes

कवि: [[माखनलाल चतुर्वेदी]]{{KKGlobal}}[[Category:कविताएँ]]{{KKRachna[[Category:|रचनाकार=माखनलाल चतुर्वेदी]] |संग्रह= ~*~*~*~*~*~*~*~ }}<poem>
क्या आकाश उतर आया है
 
दूबों के दरबार में?
 
 
नीली भूमि हरी हो आई
 
इस किरणों के ज्वार में !
 
क्या देखें तरुओं को उनके
 
फूल लाल अंगारे हैं;
 
 
बन के विजन भिखारी ने
 
वसुधा में हाथ पसारे हैं।
 
नक्शा उतर गया है, बेलों
 
की अलमस्त जवानी का
 
युद्ध ठना, मोती की लड़ियों से
 
दूबों के पानी का!
 
 
तुम न नृत्य कर उठो मयूरी,
 
दूबों की हरियाली पर;
 
हंस तरस खाएँ उस मुक्ता
 
बोने वाले माली पर!
 
ऊँचाई यों फिसल पड़ी है
 
नीचाई के प्यार में!
 
क्या आकाश उतर आया है
 
दूबों के दरबार में?
  -</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,245
edits