भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKGlobal}}
{{KKBhajan
|रचनाकार=
}}
<poem>
श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम..
 
लोग करें मीरा को यूँही बदनाम..
 
सांवरे की बंसी को बजने से काम
राधा का भी श्याम वो तो मीरा का भी श्याम...
राधा का भी श्याम वो तो मीरा का भी श्याम.....  जमुना की लहरें बंसी बजती सैयां, किसका नहीं है कहो कृष्ण कन्हैया श्याम का दीवाना तो सारा ब्रिजधाम.................  
लोग करें मीरा को यूँही बदनाम.....
 सावरे सांवरे की बंसी को बजने से काम 
राधा का भी श्याम वो तो मीरा का भी श्याम.....
 कौन जाने बांसुरिया किसको बुलाये जिसके मन भाए वो तो उसी के गुण गाए.... 
कौन नहीं बंसी की धुन का गुलाम....
 
राधा का भी श्याम वो तो मीरा का भी श्याम...
 
 
श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम..
 
लोग करें मीरा को यूँही बदनाम.....
</poem>