भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ऋषभ देव शर्मा |संग्रह= }} <Poem> रिश्ते सब टूट गए खून ...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ऋषभ देव शर्मा
|संग्रह=
}}
<Poem>
रिश्ते सब टूट गए
खून के,
दूध के
और परस्पर झूठे पानी के।
ठेके ही बाकी हैं
कुर्सी के,
धर्म के,
माफिया गिरोहों के।।
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=ऋषभ देव शर्मा
|संग्रह=
}}
<Poem>
रिश्ते सब टूट गए
खून के,
दूध के
और परस्पर झूठे पानी के।
ठेके ही बाकी हैं
कुर्सी के,
धर्म के,
माफिया गिरोहों के।।
</poem>