भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अनुपस्थित / ऋषभ देव शर्मा

11 bytes removed, 22:07, 21 अप्रैल 2009
}}
<Poem>
शहतूत की पत्ती पर
 
रेशम के कीड़े हैं,
 
भारत के स्विट्ज़रलैंड में
 
बकरी हैं, भेड़ें हैं,
 
गूजर हैं, बकरवाल हैं,
 
पंडित हैं, शेख हैं,
 
सेव और बादाम हैं,
 
पश्मीना है और केसर भी.
 
चश्मों का जल आज भी
 
पहले सा ठंडा और मीठा है.
 पर एक चीज चीज़ है 
जो सिरे से गायब है -
 
एक उन्मुक्त संगीत
 
जो दम तोड़ रहा है
 `पाकिस्तान जि़ंदाबादज़िन्दाबाद` के 
बोझ तले !
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits