1,137 bytes added,
19:47, 25 अप्रैल 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ऋषभ देव शर्मा
|संग्रह=तेवरी / ऋषभ देव शर्मा
}}
<Poem>
गीत हैं मेरे सभी उनकों सुनाने के लिए
तेवरी मेरी सभी तुमको जगाने के लिए
रक्त मेरा चाहिए तो शौक़ से ले जाइए
सिर्फ़ स्याही चाहिए अक्षर उगाने के लिए
रात सबकी चाँद नी में स्नान कर फूले-फले
यह पसीना ही मुझे काफ़ी नहाने के लिए
धर लिया ज्वालामुखी अब लेखनी की नोंक पर
सूर्य की किरणें चलीं लावा बहाने के लिए
शीत लहरों के शहर में सनसनी सी फैलती
धूप ने कविता लिखी है गुनगुनाने के लिए.
</Poem>