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18:24, 26 अप्रैल 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ऋषभ देव शर्मा
|संग्रह=तरकश / ऋषभ देव शर्मा
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<Poem>
शक्ति का अवतार हैं ये रोटियाँ
शिव स्वयं साकार हैं ये रोटियाँ
भूख में होता भजन, यारो नहीं
भक्ति का आधार हैं ये रोटियाँ
घास खाने के लिए कर दें विवश
अकबरी दरबार हैं ये रोटियाँ
और मत इनको उछालें आप अब
क्रांति का हथियार हैं ये रोटियाँ
तुम बहुत चालाक, टुकड़े कर रहे
युद्ध को तैयार हैं ये रोटियाँ
टोपियों का चूर कर दें राजमद
दर-असल सरकार हैं ये रोटियाँ
तलघरों की क़ैद को तोड़ें, चलो
मुक्ति का अधिकार हैं ये रोटियाँ
</Poem>