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नया पृष्ठ: अगीतों के उदाहरण-- १. आगीत --- इधर उधर जाने से क्या होगा , मोड मोश पर जम...
अगीतों के उदाहरण--
१. आगीत ---
इधर उधर जाने से क्या होगा ,
मोड मोश पर जमी हुई हैं,
परेशानियां,
शब्द शब्द अर्थ रहित
कह रहीं कहानियां;
मन को बह्यलाने से क्या होगा ।--डा रन्ग नाथ मिश्र सत्य
२.लय बद्ध अगीत -
तुम जो सदा कहा करतीं थीं,
मीत सदा मेरे बन रहना ,
तुमने ही मुख फ़ेर लिया क्यों,
मैंनें तो कुछ नहीं कहा था।
शायद तुमको नहीं पता था ,
मीत भला कहते हैं किसको।
मीत शब्द को नहीं पढा था ,
तुमने मन के शब्द कोश में। --डा श्याम गुप्त (प्रेम काव्य से )
३,गतिमय सप्त पदी अगीत छन्द--
छुब्द होरहा है हर मानव ,
पनप रहा है वीर निरन्तर,
राम और शिव के अभाव में,
विकल हो रहीं मर्यादायें;
पीडाएं हर सकूं जगत की,
ग्यान मुझे दो प्रभु प्रणयन का। --जगत नारायण पान्डे (मोह और पश्चाताप से)
४,लय बद्ध षट पदी अगीत-
परम व्योम की इस अशान्ति से ,
द्वन्द्व भाव कण-कण मएं उभरा ।
हल चल से गति मिली कणों को,
अपः तत्व में साम्य जगत के ।
गति से आहत नाद बने फ़िर ,
शब्द,वायु,ऊर्जा,जल और मन ॥ -डा. श्याम गुप्त (स्रिष्टि-महा काव्य से )
५,नव-अगीत छन्द--
बेडियां तोडो,
ग्यान दीप जलाओ,
नारी! अब -
तुम्ही राह दिखाओ;
समाज को जोडो. । -सुषमा गुप्ता
६.त्रिपदा अगीत छन्द-
प्यार बना ही रहे हमेशा ,
एसा सदा नहीं क्यों होता ;
सुन्दर नहीं नसीब सभी का । - डा श्यम गुप्त
७, त्रिपदा अगीत हज़ल-
पागल-दिल
भग्न अतीत की न बात करें,
व्यर्थ बात की क्या बात करें;
अब नवोन्मेष की बात करें।
यदि महलों मैं जीवन हंसता,
झोंपडियों में जीवन पलता;
क्या ऊंच नीच की बात करें।
शीश झुकायें क्यों पश्चिम को,
क्यों अतीत से हम भरमायें;
कुछ आदर्शों की बात करें ।
शास्त्र ,बडे बूडे ओ बालक,
है सम्मान देना पाना तो;
मत श्याम व्यन्ग्य की बात करें ।--डा श्याम गुप्त
१. आगीत ---
इधर उधर जाने से क्या होगा ,
मोड मोश पर जमी हुई हैं,
परेशानियां,
शब्द शब्द अर्थ रहित
कह रहीं कहानियां;
मन को बह्यलाने से क्या होगा ।--डा रन्ग नाथ मिश्र सत्य
२.लय बद्ध अगीत -
तुम जो सदा कहा करतीं थीं,
मीत सदा मेरे बन रहना ,
तुमने ही मुख फ़ेर लिया क्यों,
मैंनें तो कुछ नहीं कहा था।
शायद तुमको नहीं पता था ,
मीत भला कहते हैं किसको।
मीत शब्द को नहीं पढा था ,
तुमने मन के शब्द कोश में। --डा श्याम गुप्त (प्रेम काव्य से )
३,गतिमय सप्त पदी अगीत छन्द--
छुब्द होरहा है हर मानव ,
पनप रहा है वीर निरन्तर,
राम और शिव के अभाव में,
विकल हो रहीं मर्यादायें;
पीडाएं हर सकूं जगत की,
ग्यान मुझे दो प्रभु प्रणयन का। --जगत नारायण पान्डे (मोह और पश्चाताप से)
४,लय बद्ध षट पदी अगीत-
परम व्योम की इस अशान्ति से ,
द्वन्द्व भाव कण-कण मएं उभरा ।
हल चल से गति मिली कणों को,
अपः तत्व में साम्य जगत के ।
गति से आहत नाद बने फ़िर ,
शब्द,वायु,ऊर्जा,जल और मन ॥ -डा. श्याम गुप्त (स्रिष्टि-महा काव्य से )
५,नव-अगीत छन्द--
बेडियां तोडो,
ग्यान दीप जलाओ,
नारी! अब -
तुम्ही राह दिखाओ;
समाज को जोडो. । -सुषमा गुप्ता
६.त्रिपदा अगीत छन्द-
प्यार बना ही रहे हमेशा ,
एसा सदा नहीं क्यों होता ;
सुन्दर नहीं नसीब सभी का । - डा श्यम गुप्त
७, त्रिपदा अगीत हज़ल-
पागल-दिल
भग्न अतीत की न बात करें,
व्यर्थ बात की क्या बात करें;
अब नवोन्मेष की बात करें।
यदि महलों मैं जीवन हंसता,
झोंपडियों में जीवन पलता;
क्या ऊंच नीच की बात करें।
शीश झुकायें क्यों पश्चिम को,
क्यों अतीत से हम भरमायें;
कुछ आदर्शों की बात करें ।
शास्त्र ,बडे बूडे ओ बालक,
है सम्मान देना पाना तो;
मत श्याम व्यन्ग्य की बात करें ।--डा श्याम गुप्त