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06:07, 3 मई 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ख़्वाजा हैदर अली 'आतिश'
}}
[[Category:ग़ज़ल]]
यार को मैं ने मुझे यार ने सोने न दिया<br>
रात भर तालि'-ए-बेदार ने सोने न दिया<br>
एक शब बुलबुल-ए-बेताब के जागे न नसीब<br>
पहलू-ए-गुल में कभी ख़ार ने सोने न दिया<br>
रात भर की दिल-ए-बेताब ने बातें मुझ से<br>
मुझ को इस इश्क़ के बीमार ने सोने न दिया<br>
[http://jagjitsingh-sankalp.blogspot.com/[Bazm-E-Jagjit]]