भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
}}
चांद मद्धम है आस्मां आस्माँ चुप है<br>नींद की गोद में जहां जहाँ चुप है<br><br>
दूर वादी में दूधिया बादल,झुक के परबत को प्यार करते हैं<br>
दिल में नाकाम हसरतें लेकर,हम तेरा इंतज़ार करते हैं<br><br>
इन बहारों के साए में आ जा,फिर मोहब्बत जवां जवाँ रहे न रहे<br>ज़िन्दगी तेरे ना-मुरादों पर,कल तलक मेहरबां मेहरबाँ रहे न रहे<br><br>
रोज़ की तरह आज भी तारे,सुबह की गर्द में न खो जाएंजाएँ<br>आ तेरे गम़ में जागती आंखेंआँखें,कम से कम एक रात सो जाएंजाएँ<br><br>