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कविता क्या है? कहते हैं जीवन का दर्शन है - आलोचन,<br>
(वह कूडा कूड़ा जो ढँक देता है बचे-खुचे पत्रों में के स्थल)।<br>
कविता क्या है ? स्वप्न श्वास है उन्गन कोमल,<br>
(जो न समझ में आता कवि के भी ऐसा है वह मूरखपन)<br>
मन भी आज अकारज चिर-प्रवास से क्यों ऊबा जाता है ?<br>
फ़सल कट गयी, कहीं गडरिया बचे-खुचे पशु हाँक रहा है,<br>
सान्ध्य-क्षितिज पर कोई अंजन, म्लान-गूढ गूढ़ छवि आँक रहा है ।<br>
बचे-खुचे पंछी भी लौटे, घर का मोह अजब बलमय है,<br>
मानव से प्रकृति की छलना, प्रकृति से मानव छलमय है !<br><br>
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