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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार: [[=तेजेन्द्र शर्मा]]}}[[Category:कविताएँ]][[Category:तेजेन्द्र शर्मा]]<poem>पत्तों ने ली अंगड़ाई हैक्या पतझड़ आया हैइक रंगोली बिखराई हैक्या पतझड़ आया है?
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~रंगों की जैसे नई छटाहै छाई सभी दरख़्तों परपश्चिम में जैसे आज पियाचलती पुरवाई हैक्या पतझड़ आया है?
पत्तों ने ली अंगड़ाई कैसे फूलों कोदे डाली एक चुनौती है<br>क्या पतझड़ आया है<br>सुंदरता के इस आलम मेंइक रंगोली बिखराई मस्ती छाई है<br>क्या पतझड़ आया है?<br><br>
रंगों की जैसे नई छटा <br>कुदरत ने देखो पत्तों कोहै छाई सभी दरख़्तों पर<br>एक नया परिधान दियापश्चिम में दुल्हन जैसे आज पिया<br>करके श्रृंगारचलती पुरवाई सकुची शरमाई है<br>क्या पतझड़ आया है?<br><br>
पत्तों ने कैसे फूलों को<br>बेलों ने देखोदे डाली एक चुनौती इक इंद्रधनुष है<br>रच डालासुंदरता वर्षा के इस आलम में<br>इंद्रधनुष को जैसेइक मस्ती छाई लज्जा आई है<br>क्या पतझड़ आया है?<br><br>
कुदरत ने देखो पत्तों को<br>नारंगी, बैंगनी, लाल सुर्ख़है एक नया परिधान दिया<br>कत्थई, श्वेत भी दिखते हैंदुल्हन जैसे करके श्रृंगार<br>था बासी पड़ ग़या रंग हरासकुची शरमाई मुक्ति दिलवाई है<br>क्या पतझड़ आया है?<br><br>
पत्तों ने बेलों ने देखो<br>इक इंद्रधनुष है रच डाला<br>वर्षा के इंद्रधनुष को जैसे<br>लज्जा आई है<br>क्या पतझड़ आया है?<br><br> नारंगी, बैंगनी, लाल सुर्ख़<br>कत्थई, श्वेत भी दिखते हैं<br>था बासी पड़ ग़या रंग हरा<br>मुक्ति दिलवाई है<br>क्या पतझड़ आया है?<br><br> कोई वर्षा का गुणगान करे<br>कोई गीत वसंत के गाता है<br>मेरे बदरंग से जीवन में<br>छाई तरूणाई है<br>क्या पतझड़ आया है?<br><br/poem>
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