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जिस मुनि की यह स्रुवा, उसी की कैसे हो सकती तलवार?
या कि वीर कोई योगी से युक्ति सीखने आया है?
तन की समर-भूमि में लेकिन, काम खड्ग ही करता है।
रण में कुटिल काल-सम क्रोधी तप में महासूर्य-जैसा!
भृगु के परम पुनीत वंशधर, व्रती, वीर, प्रणपाली का।
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