भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
मैं और जाऊँ दर से तेरे बिन सदा किये <br><br>
रखता फिरूँ हूँ ख़ीर्क़ा-ओ-सज्जादा रहन-ए-मै मय <br>
मुद्दत हुई है दावत-ए-आब-ओ-हवा किये <br><br>