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[[Category:ग़ज़ल]]
दहर में नक़्श-ए -वफ़ा वजह-ए -तसल्ली न हुआ <br>है यह वह लफ़्ज़ कि शर्मिन्दह-ए -मनी न हुआ <br><br>
सब्ज़ह-ए -ख़त से तिरा काकुल-ए सर-कश सरकश न दबा <br>यह ज़ुमुर्रुद भी हरीफ़-ए -दम-ए -अफ़`ई न हुआ <br><br>
मैं ने चाहा था कि अन्दोह-ए -वफ़ा से छूटूं <br>
वह सितमगर मिरे मरने पह भी राज़ी न हुआ <br><br>
दिल गुज़र-गाह-ए -ख़याल-ए मै-मय-ओ-साग़र ही सही <br>गर नफ़स जादह-ए -सर-मन्‌ज़िलमंज़िल-ए -तक़्वी न हुआ<br><br>
हूं हूँ तिरे व`दह न करने में भी राज़ी कि कभी<br>गोश मिन्नत-कश-ए -गुलबांग-ए -तसल्ली न हुआ <br><br>
किस से महरूमी-ए -क़िस्मत की शिकायत कीजे <br>
हम ने चाहा था कि मर जाएं सो वह भी न हुआ <br><br>
मर गया सदमह-ए -यक-जुन्बिश-ए -लब से ग़ालिब <br>नातुवानी से हरीफ़-ए -दम-ए -`ईसा न हुआ
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