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[[Category:ग़ज़ल]]
बस कि दुश्वार है हर काम का आसाँ होना <br>
आदमी को भी मयस्सर नहीं इन्साँ होना<br><br>
की मेरे क़त्ल के बाद उस ने जफ़ा से तौबा<br>
हाये हाय उस ज़ूदपशेमाँ का पशेमाँ होना<br><br>
हैफ़ उस चार गिरह कपड़े की क़िस्मत 'ग़ालिब'<br>
जिस की क़िस्मत में हो आशिक़ का गरेबाँ होना <br><br>
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