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ताशक़न्द की शाम / अली सरदार जाफ़री
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19:17, 23 मई 2009
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ताशक़न्द की शाम
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मनाओ जश्ने-महब्बत कि ख़ूँ की बू न रही
बरस के खुल गये बारूद के सियह बादल
चंद्र मौलेश्वर
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