==जीवन परिचय==
सरस्वती के कुशल संपादक, साहित्य वाचस्पति और ‘मास्टरजी’ के नाम से सुप्रसिद्ध डॉ.पदुमलाल पन्नालाल बख्शी का जन्म 27 मई 1894 को खैरागढ़ में हुआ । पिता खैरागढ के प्रतिष्ठित श्री पुन्नालाल बख्शी । यह 1903 का समय था जब वे घर के साहित्यिक वातावरण से प्रभावित हो कथा-साहित्य में मायालोक से परिचित हुए । चंद्रकांता, चंद्रकांता संतति उपन्यास के प्रति विशेष आसक्ति के कारण स्कूल से भाग खड़े हुए तथा हेडमास्टर पंडित रविशंकर शुक्ल (म.प्र. के प्रथम मुख्यमंत्री) द्वारा जमकर बेतों से पीटे गये ।
सकते हैं ।
18 दिसम्बर 1971 के दिन उनका रायपुर के शासकीय डी.के हास्पीटल में उनका निधन हो गया गया।
====आपके विषय में कथाकार कमलेश्वर कहते हैं==== "आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी के बाद ‘सरस्वती’ को संभाल सकना और उसे दिशा दृष्टि दे सकना मामूली नहीं था ।एक तरह से उस महान युग की समाप्ति के साथ नये युग का सूत्रपात कर सकना और पिछले युग की जिम्मेदारी को संभाल सकना एक महान व्यक्ति ही कर सकता था- और वह व्यक्तित्व बख्शी जी का था । " ==डॉ.पदुमलाल पन्नालाल बख्शी की रचनाएँ== * [[मातृ मूर्ति / डॉ.पदुमलाल पन्नालाल बख्शी]]* [[एक घनाक्षरी / डॉ.पदुमलाल पन्नालाल बख्शी]]* [[दो-चार / डॉ.पदुमलाल पन्नालाल बख्शी]]