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एक शे’र२ / अली सरदार जाफ़री
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|रचनाकार=अली सरदार जाफ़री
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एक शे’र२
=========
अपने बेबाक निगाहों में समाया न कोई
और वह है कि हर इक ताज़ा ख़ुदा से ख़ुश है
</poem>
चंद्र मौलेश्वर
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