621 bytes added,
15:12, 26 मई 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अली सरदार जाफ़री
}}
<poem>
दो शे’र१
ये कौन आया शबे-वस्ल का जमाल लिए
तमाम उम्रे-गुज़श्ता<ref>बीती हुई उम्र</ref> के माहो-साल लिए
हज़ार रंगे-खिज़ाँ का बदन पे पैराहन
ज़वाले-हुस्न<ref>सौन्दर्य का ह्रास</ref> में भी हुस्ने-लाज़वाल लिए
{{KKMeaning}}
<poem>