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{{KKRachna
|रचनाकार=अली सरदार जाफ़री
}}
<poem>
'''एक शे’र'''


खु़दा हसीनो-जमील है और तुम्हारी आँखों में जलवागर है
वह मौजे-रंगे-बहार, तुम जिस से गुलफ़िशाँ<ref>पुष्पित-पल्लवित</ref>हो मिरी ऩज़र है

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</poem>