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18:26, 27 मई 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अली सरदार जाफ़री
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'''एक शे’र'''
खु़दा हसीनो-जमील है और तुम्हारी आँखों में जलवागर है
वह मौजे-रंगे-बहार, तुम जिस से गुलफ़िशाँ<ref>पुष्पित-पल्लवित</ref>हो मिरी ऩज़र है
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